माँ मुझको न्याय चाहिए 
क्या है कसूर मेरा ?
यही ना की मैं एक
लड़की हूँ 
चाह थी बेटे के आगमन
 की  
पर मुझे पा उदासी ने
घर घेरा 
सभी बुझे बुझे से थे
कोई उत्साह नहीं 
गहरी साँसे ले रहे
थे मेरे जन्म पर 
पर माँ है क्या कसूर
मेरा ?
जब से समझदार हुई
हूँ 
बहुत फर्क देखा है
मैंने
 भैया में और खुद में 
हर बार की वर्जनाएं
व रोकाटोकी 
यह करो यह ना करो
केवल मुझे ही 
ऐसा क्यूँ ?
मुझे भी तो हक़ है
 अपने अधिकार जानने का 
मुझे न्याय चाहिए यह
दुभांत किसलिए ?
 रोज  कहा जाता है मुझे
पराई संपदा 
क्या यह मेरा घर
नहीं है ?
इसी घर में जन्मी
फिर पराई क्यूँ ?
मुझे इस ग्लानी से
छुटकारा चाहिए 
मुझको समाज से  न्याय चाहिए
यह अंतर किसलिए ?
आशा