जान न पाया कहाँ से आई
ओर हों कौन ओ अजनवी
जाने कब तुम्हारा आना
मेरे जीने का बहाना हों गया |
ये सलौना रूप और पैरहन
और आहट कदमों की
छिप न पाये हजारों में
ले चले दूर बहारों में |
दिल में हुई हलचल ऐसी
सम्हालना उसे मुश्किल हुआ
हर शब्द जो ओंठों से झरा
हवा में उछला फिज़ा रंगीन कर गया |
हों तुम पूरणमासी
या हों धुप सुबह की
साथ लाई हों महक गुलाब की
तुम्ही से गुलशन गुलजार हों गया |
चहरे का नूर और अनोखी कशिश
रंगीन इतनी कि
रौशनी का पर्याय हों गयी |
दिल में कुछ ऐसे उतारी
गहराई तक उसे छु गयी
वह काबू में नहीं रहा
कल्पना में खो गया |
आशा
ओर हों कौन ओ अजनवी
जाने कब तुम्हारा आना
मेरे जीने का बहाना हों गया |
ये सलौना रूप और पैरहन
और आहट कदमों की
छिप न पाये हजारों में
ले चले दूर बहारों में |
दिल में हुई हलचल ऐसी
सम्हालना उसे मुश्किल हुआ
हर शब्द जो ओंठों से झरा
हवा में उछला फिज़ा रंगीन कर गया |
हों तुम पूरणमासी
या हों धुप सुबह की
साथ लाई हों महक गुलाब की
तुम्ही से गुलशन गुलजार हों गया |
चहरे का नूर और अनोखी कशिश
रंगीन इतनी कि
रौशनी का पर्याय हों गयी |
दिल में कुछ ऐसे उतारी
गहराई तक उसे छु गयी
वह काबू में नहीं रहा
कल्पना में खो गया |
आशा