दो तोते बैठे
वृक्ष के तने पर
आपस में बतियाते
वर्तमान पर चर्चा करते |
उदासी का चोला ओढ़े
यादे अपनी ताजा करते
पहले कितनी हरियाली थी
हमजोलियों की टोलियाँ थीं |
बड़े पेड़ कटते गए
मित्र तितरबितर हो गए
आधुनिकता की बली चढ़ गए
मानव ही बैरी हो गया
सृष्टि के संतुलन का |
हरियाली का नाश किया
सीमेंट लोहे का जंगल उगाया
यही कारण हो गया
हम सब की बदहाली का |
रैन बसेरा नष्ट हो गया
आज है यह हाल
कल न जाने क्या होगा
अभी बैठे हैं यहाँ
कल न जाने कहाँ होंगे |
आशा