22 जुलाई, 2023

 

२-मेरे मन की

अब तैयारी है किताब ‘सांझ की बेला में ‘अठारावे कविता संग्रह के प्रकाशन की |जल्दी ही वह  आपके सन्मुख होगा आप ही निर्धारित करेंगे पुस्तक कैसी लगी मेरे निर्णायक आप  मेरे पाठक ही हैं|मुझे क्या लिखना है क्या नहीं आप पर निर्भर है |

लेखिका

आशा सक्सेना 

21 जुलाई, 2023

मन की डावाडोल स्थिति

एक अनोखे सोच ने 

कपकपा दिया तन मन को ऊपर से नीचे तक

मुझे मजबूर करता  सोचने को

कि मेरा वजूद क्या है ?

ना कभी किसी ने मुझे टोका ना रोका

जो मन को अच्छा लगा किया

जैसे जीना था जिया

हर बात मैं अपनी चलाई मनमानी की |

जब  तक किसी का कहना ना  माना

आगे पीछे का ना सोचा

समाज से भी दूर किया खुद को

यही सही ना किया |

किसी का प्यार पा ना सका

किसी को दिल से  अपना ना सका

किसकी गलती रही होगी

यह भी जान ना पाया |

फिर सोच उभर कर आया मेरा कसूर क्या है

लोग अपना विचार तो नहीं करते

दूसरों पर सब गलतियां थोप

चैन की सांस लेते हैं |

आशा सक्सेना 

हाईकू

१-तुम्हारी यादें 

आकर चली गईं 

का जाने कब 

२-दिल पुकारे 

तुम ना आओ 

यह कैसे हो 

३-मेरी कविता 

का सर  हीं  पाँव 

यह क्या हुआ 

४- ना तुम  याद 

नहीं नुझे बुलाओ 

यह क्या है 

५-चंचल मन 

समझ नहीं पता

 यादें किसकी 

६- अवगुण हैं 

किसमें कब तक 

उसने  जाना |

 आशा सक्सेना 


18 जुलाई, 2023

एक मित्र की खोज

 

किसी से कही मन की बात

सोचा मन हल्का हो जाएगा

और हँसी का पात्र बनी

लोगों ने पीछे से मजाक बनाया उसका|

यही बात जब जानी मन को संताप हुआ

अब सोचा किसी से कोई बात नहीं करेगी

सब को अपना नहीं समझेगी

यदि सच्चा मित्र बनाना हो कितना सोचेगी |

जितनी बार मित्र बनाया

हर बार ही धोखा खाया

पहले जांचेगी परखेगी

 तब ही उस पर भरोसा करेगी |

यही एक बात सीखी है

 उसने इस अनुभव से

अब वह  भूल नहीं करेगी

जितना हो सके उसका

 पहले परीक्षण करेगी |

जब उसमें यह सफल होगी

 तभी आगे बढ़ने की सोचेगी

तब धोखा ना  देगा देने वाला

यही एक वादा उसने खुद से किया |

अब बेफिक्र हो गई

किसी छलावे से

स्वविवेक का उपयोग करेगी

अब पीछे नहीं हटेगी  |

आशा सक्सेना 

17 जुलाई, 2023

उसने सड़क पर दौड़ लगाई

 

उसने सड़क पर दौड़ लगाई 

जल्दी पहुँचने की चाह में  

किसी से शर्त लगाई थी और वह जीती भी 

 खुशी हुई उसके मन में |

उसे   किसी से ना  बांटा  

उसको मन में छिपाए रखा 

सब ने उसे  स्वार्थी कहा

अपने तक सीमित कहा

किसी की मदद ना ले  पाई

क्या यह गलत हुआ ?

सही गलत के चक्कार मैं

वह उलझी रही खुद में

सोचने की क्षमता कम होने लगी

उसमें हीन भावना आने लगी |

 वह सम्हाल ना पाई अपने को

खुशियों से दूर हुई अनमनी और उदास हुई

नदियों की गति  सी चंचल  हुई

बहती गई बढ़ती गई बिना सोच के |

अपनी समस्या क्या है वह बता ना सकी 

अश्रु जल बह चला उसका 

 नदी के जल से मिलते ही 

नदी की गति और तेज हुई |

वह  चली बिना किसी की  रोक टोक के 

ज़रा सांत्वना मिलते ही आगे बड़ी सहस से

उसने किसी से मदद की आशा ना की 

सब को पीछे छोड़ दिया 

तभी वह  सफल हो पाई | 

आशा सक्सेना 


16 जुलाई, 2023

जीवन के आखिरी पड़ाव पर

वह कब तक तेरी राह देखे  

तुम कब आओगे 

आकर उसे  ले जाओगे

 उसने कहा था  |

वह अब बिस्तर पर पडे रह कर 

 उकता गई है  

जीवन में कोई रस नहीं अब 

सारे ऋणों से मुक्त हो गई 

 अब चिंता मुक्त है |

प्रभू की कृपा चाहिये 

उसकी भक्ति में  खो जाना  है 

तभी चाहत है दिन रात 

आराधना उसकी  करने की 

बड़ी इच्छा है उसकी |

पहले घर वर में व्यस्त रही

 दूर की कभी ना सोची 

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है 

कुछ तो समय बाक़ी होगा 

क्यूँ ना सदुपयोग करे उसका 

यही अब शेष रहा है 

उसे  जीवन से मुक्ति मिले

 यही सोच है उसका |

आशा सक्सेना