आया राखी का त्योंहार
  
  ना तो गहमा गहमी बाजार में 
 ना ही कोई उत्साह
 आम जन मानस में |
हर ओर  कोरोना
 महामारी का भय
व्याप्त 
मार्ग सभी अवरुद्ध हुए है
 किससे 
जाना हो संभव |
बहन ने मना कर दिया
 आना है असम्भव इस बार  
मन को झटका लगा
 कैसे मानाएं यह त्यौहार 
भाई बहन के समागम के  बिना |
 अजीब
सा खालीपन लगेगा
घर में घेवर बना लेंगे
मीठी खीर बनालेंगे |
घर में घेवर बना लेंगे
मीठी खीर बनालेंगे |
 मन को समझाया 
यह साल निकल
जाने दो 
अभी है बिपदा भारी
 घर में ही राखी मना लेंगे |
 अगले बर्ष  का इंतज़ार रहेगा
 तभी अरमां पूर्ण करेंगे 
 यह है कठिन समस्या
 इससे क्या
घबराना |
हर वर्ष यही त्योंहार होगा
हर वर्ष यही त्योंहार होगा
 हम होंगे  भाई रहेंगे 
पहली राखी भेट चढ़ेगी प्रभू को 
इसबार वंचित रह् जाएगा भाई | 
पर इससे ही संतोष करेंगे
 घर में रह कर
मन को समझालेंगे
बच्चों को बहला लेंगे |
मन को समझालेंगे
बच्चों को बहला लेंगे |
अन्य विकल्प नहीं  है कोई 
 मन
को शांत रखने का 
पर समय की मांग है यह
 इससे पीछे नहीं हटेंगे |
आशा 



