18 मार्च, 2020

कोरोना

कोरोना फैला
आई बिपदा घोर
डरना कैसा

थामें दामन
स्वच्छता अपनाएं
भय है कैसा

कोई तो होता
सही मार्ग दर्शक
बीमारी फैली

कैसी बीमारी 
क्यूँ पसार रही है 
 अपने पैर 

निगल गई 
बड़ा भाग बीमारी 
मास्क न मिला 

है वायरस 
बहुत  जानलेवा 
प्रभु बचाए

है महामारी
सावधानी जरूरी
 ना कि बीमारी


आशा

17 मार्च, 2020

मिलावट








 मिलावट -आज के युग में जहां देखा  वहीं है मिलावट
कोई नहीं बचा इसकी मार से
जहां जहां पड़े पैर शुद्धता के  
 मिलावट ने गर्दन पकड़ी पीछे से |
जब गेहूं लाए आटा पिसवाया
जल्दी में बीना नहीं  ठीक से
इतनी किसकिसाहट  आटे में थी
कि वह कूड़ेदान के हुआ हवाले |
खाने की सामग्री हो या  कीमती धातु हों
दवाइयां हों या अन्य उपयोग की  वस्तुएं
कोई नहीं बचा इससे
सारा बाजार भरा हुआ  है मिलावटी सामग्री से |
यहां  तक कि भाषा भी नहीं बची मिलावट से
 दो भाषाएँ मिलाकर बात जब तक न हो
कहना सुनना  पूर्ण नहीं होता 
लगता है कहीं कुछ कमी रह गई है|
 विचार स्पष्ट नहीं हो पाया
फिर से कोशिश होती है
 टूटे फूटे आंग्ल शब्दों में
 अर्थ समझाने की |
अब तो अलग अलग  विचारधारायें भी
  हैं  प्रभावित   एक दूसरे के सत्संग  से
 चार दिन का साथ बदल देता है
 सोच का ढंग आम आदमी का |
प्राकृतिक संपदा भी नहीं अछूती इससे
 नदियों  में गंदे नालों के जल की मिलावट  
वायु में प्रदूषण रसायनों का
 सांस लेना हुआ दूभर मनुष्य का |
सारी दुनिया हुई त्रस्त आधुनिकता के जाल से
कोई तो स्थान हो जहां मिलावट ने न डाला हो डेरा  
भगवान के मंदिर को भी नहीं छोड़ा उसने 
प्रसाद में भी  मिलावट की बहुत सरलता से  |
आशा    

16 मार्च, 2020

साँसें


                     साँसों से जुड़ा है
 जीवन का एक एक पल
दिन रात क्षय होती साँसें
 चंद लम्हे भी जुड़े हैं जिनसे |
जो यादों में समाए हुए है
वे खट्टी मीठी यादें 
गहराई तक पैठ गईं मन में  
तभी तक स्मरण रहती हैं
जब तक साँसें रहती हैं
फिर एक ऐसा पल आता है
साँसे हो जाती है विलुप्त  
जो कि है चिर अपेक्षित
तभी कहा जाता है साँस है तो आस है|
हर साँस में एक आशा समाई है
हैं वे बहुत भाग्यशाली
जिन्होंने जिन्दगी का  
 हर पल जिया है |
हर साँस का आनंद लिया है
साँसों को गिन गिन कर
जीवन से  पूरा हिसाब लिया है
जिन्दगी को  भरपूर जिया है |
आशा