07 मार्च, 2015
04 मार्च, 2015
विजया
बसी अंग अंग 
फागुनी पवन संग 
प्रसाद भोले का जान |
मनमौजी बना जाती 
मन में बसती 
उसे तरंगित करती
आनंद से भरती |
आनंद से भरती |
कभी लगती चुम्बक सी 
खुद की और खींचती 
चहु और रंग रूहानी होता 
खिलखिलाने का मन होता |
पर न जाने क्यूं 
उदासी  अपना  डेरा  जमाती 
रोना बंद न होता
तो कभी हंसने का दौरा पड़ता |
तो कभी हंसने का दौरा पड़ता |
बेसमय सोना  हसना हंसाना 
संयम का कोई न ठिकाना 
एक ही कार्य की पुनरावृत्ति  
विजया का मजा देती  |
पर भोले का प्रसाद
भंग की सौगात
प्रसाद न रह जाता
भंग की सौगात
प्रसाद न रह जाता
 नशे में बदलने लगता |
जी का जंजाल हो भंग 
मन की शान्ति हरती  
जीवन अस्तव्यस्त होता
नशे की आदत में बदलता |
जब कदम उस और जाते
विजया विजया न रहती
जीवन अस्तव्यस्त होता
नशे की आदत में बदलता |
जब कदम उस और जाते
विजया विजया न रहती
भंग का गोला हो जाती 
कितनी बेमानी होजाती |
आशा 
02 मार्च, 2015
होली पर चन्द हाईकू
होलिका भस्म 
बुराई साथ लिये
प्यार ही पले |
नवल धान
खेतों में उपजाया
भोग लगाया |
बुराई साथ लिये
प्यार ही पले |
नवल धान
खेतों में उपजाया
भोग लगाया |
मीठी गुजिया 
मुंह में घुल जाती
प्यार बांटती |
कान्हां ने खेली
केशर संग होली
राधा न भूली |
गोप गोपियाँ
डाले गल बहियाँ
होली खेलते |
भीगी अंगिया
टपकती चूनर
रंग में रंगी |
·
आशा
मुंह में घुल जाती
प्यार बांटती |
कान्हां ने खेली
केशर संग होली
राधा न भूली |
गोप गोपियाँ
डाले गल बहियाँ
होली खेलते |
भीगी अंगिया
टपकती चूनर
रंग में रंगी |
·
खेलती होली 
रंग रसिया संग
हो जाती मग्न |
द्वेष न राग
गया बैर कहीं भाग
रहा सोहाद्र |
रंग रसिया संग
हो जाती मग्न |
द्वेष न राग
गया बैर कहीं भाग
रहा सोहाद्र |
होली में होलीँ 
मन की जो बतियां
प्रीत निभाई |
आशा
मन की जो बतियां
प्रीत निभाई |
आशा
आशा
01 मार्च, 2015
दुविधा
है दुविधा मन पर हावी  
और राह चुनना भारी  
क्लांत मना दोराहे पर खड़ी हूँ
क्लांत मना दोराहे पर खड़ी हूँ
मार्ग भी दृष्टि से ओझल 
हर ओर धुंधलका छाया  
सर पर न किसी का साया  
कड़ी धूप से सहमी हूँ
कड़ी धूप से सहमी हूँ
खुद ही निश्चय करना है 
कौनसा मार्ग चुनना है
कौनसा मार्ग चुनना है
कभी सिमटने लगती हूँ 
अपने ही विचारों में 
सोच भी साथ नहीं देता 
मस्तिष्क शिथिल सा हो जाता 
जानती हूँ मार्ग तो चुनना ही  है 
फिर भी अस्पष्ट सोच  से घिरी हूँ 
पल पल साहस सजो रही हूँ 
सही गलत को टटोल रही हूँ
सही गलत को टटोल रही हूँ
शायद सफल हो पाऊँ 
  कशमकश से उबर  पाऊँ |
आशा 
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