वही सारी कायनात
कुछ भी नया नहीं
फिर भी कुछ सोच
कुछ दृश्य अदृश्य
दिखाई दे जाते
कुछ खास कर
गुजर जाते
फिर शब्दों की हेराफेरी
जो भी लिखा जाता
नया ही नजर आता
खाली आसव की बोतल में
भर कर उसे परोसा जाता
बोतल बदलती
साकी बदलती
पर हाला का प्रभाव
बदल नहीं पाता
उससे उत्पन्न सुरूर में
कुछ कहता
कुछ छुपा जाता
जो कहना चाहता
बेखौफ़ कहता
होगा क्या परिणाम
वह सोच नहीं पाता |
आशा