12 मार्च, 2015

मैंने क्या पाया

नयनों से नयनों की बातें 
कनखियों की सौगातें 
जब भी याद आएं 
तुझे अधिक पास पाएं 
यही नजदीकियां 
यादों में बसी हुई हैं 
तुझसे मैंने क्या पाया 
कैसे तुझे बताऊँ 
प्यार तुझी से सीखा 
 यह तक बता न पाऊँ
भावों की प्रवणता 
तुझसे बाँट न पाऊँ 
मुझमें ही कहीं कमीं  है 
हर बात कह न पाऊँ 
प्यार की गहराई में 
इतनी डूब जाऊं
 शब्द नहीं  मिल पाते
मन में ही रह जाते
इशारे भी कम पड़ जाते
मनोभाव्  जताने को |
आशा
 


10 मार्च, 2015

रंग रंगीली पंचमी


मादल बजा
पैर थिरकने लगे
है भगोरिया |

होली का रंग
शालीन हुडदंग
अच्छा लगता |

शरारत की
बचपन में जितनी
कभी न भूले |

दूध में भंग
पी ठंडाई समझ
बड़ी मीठी थी |

गुलाल लगा
मुंह लाल होगया
देखा दर्पण |
आशा

08 मार्च, 2015

कितना कठिन


कितना कठिन 
गुत्थी सुलझाना
सुलझाने का
 मार्ग खोजना
जिस पर चल
 निष्कर्ष खोजना
आत्मसात फिर
 उस को करना
हैं सभी दूर
 एक आम आदमीं से
 हैं कल्पना मात्र
जो स्वप्नों में ही देते साथ
चन्द लोगों की बपोती
 हैं सब सुख आज
जीवन भार हुआ आज
तभी आत्महत्या के
 होते अक्सर प्रयास
पर वे  सब भी
 बिफल होते आज
गुत्थी ना कल सुलझी 
 और ना ही सुलझ पाएगी
आशा