माँ हमारी प्रथम गुरू
उनके बाद आप ही हो
जिसने वादा निभाया
हमें इस मुकाम तक पहुचाया
आज हम जो भी हैं
आपके कारण बने हैं
तभी तो दिल से ऋणी हैं
ऋण कैसे चुकाएं
नहीं जानते पर आपके
पद चिन्हों पर चलते
आपका उपकार मानते |
आशा
आशा