मंद-मंद वासंती बयार
नव किसलय करते सिंगार
नए पुराने वृक्षों का
हुआ संकेत वसंत आगमन का |
हरी भरी सारी धरती
रंगीन तितलियाँ विचरण करतीं
पुष्पों पर यहाँ वहाँ
रस रंग में डूबीं वे
मन को कर देतीं विभोर |
पुष्पों की आई बहार
कई अनोखे रंग लिये
पीली सरसों पीले कनेर
शेवंती की मद मस्त गंध
गेंदे की क्यारी हुई अनंग|
होते ही भोर सुन कोयल की तान
मन होता उसमें साराबोर
है संकेत वसन्त आगमन का |
वीणा पाणी को करते नमन
कलाकार कवि और अन्य
पीली साड़ी में लिपटी गृहणी
दिखती व्यस्त गृहकार्य में,
मीठे व्यंजन बना
करती स्वागत वसंत ऋतु का |
वासंती रंग में रंगा हुआ
खेलता खाता बचपन
माँ सरस्वती के सामने
प्रणाम करता बचपन |
है दिन वसंत पंचमीं का
माँ शारदे के जन्म का
सुहावनी ऋतु के
होते आभास का |
आशा