24 जुलाई, 2019

सिगरेट



अधरों के बीच दबा सिगरेट 
खूब धुएँ के छल्ले निकाले 
पर कभी न सोचा कितना धुआँ
घुसेगा शरीर के रोम रोम में !
श्वास लेना भी दूभर होगा 
खाने में भयानक कष्ट 
मुँह न खुलता ! हुए बेआवाज़ !
जिसने जो उपाय बताये सब किये 
पर सिगरेट न छोड़ पाए ! 
रोग बढ़ता गया तब आये 
डॉक्टर की शरण में 
उसने पहला प्रश्न यही पूछा 
"क्या धूम्रपान किया निरंतर ? 
यह तो कैंसर हो गया है
जो फ़ैल रहा है निरंतर 
जीवन की अंतिम घड़ी तक 
इससे छुटकारा न मिल पायेगा !"
बच्चों को बुलाया पास बैठाया 
काग़ज़ कलम ले आये वे 
ये रहा आख़िरी सन्देश 
कोई भी शौक पालना पर
सिगरेट को हाथ न लगाना 
यही है नसीहत मेरी 
और कुछ विरासत में नहीं !