१-
साथ दीखते
धरा और गगन
कभी न मिले |
२-
बनी रहती
सुख -दुःख में दूरी
पट न पाती |
३-
हैं एक साथ
कुम्भ में राजा -रंक
कोई न भेद |
४-
हर बात का
है स्वाद खट्टा- मीठा
जैसा सोच हो |
५-
जो चाहो पाओ
धर्म या अधर्म में
सभी मिलेगा
आशा |
साथ दीखते
धरा और गगन
कभी न मिले |
२-
बनी रहती
सुख -दुःख में दूरी
पट न पाती |
३-
हैं एक साथ
कुम्भ में राजा -रंक
कोई न भेद |
४-
हर बात का
है स्वाद खट्टा- मीठा
जैसा सोच हो |
५-
जो चाहो पाओ
धर्म या अधर्म में
सभी मिलेगा
आशा |