03 जनवरी, 2013

आदित्य की प्रथम किरण

आदित्य की प्रथम किरण सा
कितना  सुखद  सानिध्य
और तुम्हारा स्नेहिल स्पर्श 
कर जाता अभिमंत्रित
 मन मयूर को\
व्योम में  सूर्य बिम्ब से
अरुणिम अधर 
प्रमुदित करते 
मधुर मुस्कान से
 फूल झरते 
अदभुद भाव लिए मुख पर 
कर जाती बिभोर 
टीस  सी होने लगती जब 
कोई छूना चाहता तुम्हें
चाहत है यही 
भूले से भी न छुए किसी का 
साया भी तुम्हे 
सृष्टि की अनमोल कृति हो
ऐसी ही रहो |
आशा

31 दिसंबर, 2012

नव वर्ष कैसा हो

आप सब को नव वर्ष के लिए हार्दिक शुभकामनाएं | प्रस्तुत है एक रचना :-


उडती चिंगारी ,सुलगती  आग 
बढता जन आक्रोश 
फिर भी  मतलब के लिए 
अपने हाथ सेकते लोग 
सारा ही वर्ष बीता 
अस्थिरता के आगोश में 
हादसे बढ़ते गए
बर्बर प्रहार होते रहे 
विश्वास क़ानून पर न रहा 
प्रजातंत्र  शर्मसार हुआ 
कोई भी सुरक्षित नहीं 
क्या वृद्ध क्या नाबालिग 
पुरुष हों या महिलाएं 
आहत जनमानस हुआ
कुछ ही काला धन  निकला 
भ्रष्टाचार फला फूला 
नैतिकता का अवमूल्यन 
देख शर्म से सर झुकता 
मन में भावअसुरक्षा का 
गहरा पैठता जाता 
चरित्र हनन ,शील हरण
वीभत्स हादसे हुए आम
ये  दुखद बढती घटनाएं 
मानवता को झझकोर रहीं |
है  आकांक्षा यही
आने वाला वर्ष इस जैसा  न हो
साम्राज्य अमन चैन का हो
वरद हस्त ईश्वर का हो |

आशा