-स्वप्नों में जीना
उनमें ही खोए रहना
आनंद है ऐसा
गूंगे के स्वाद जैसा |
अवर्णनीय वह मिठास
और उसकी ऊष्मा
मन के हर कौने में
होना ही चाहिए |
महक उसकी दूर तक
पहुंचे या ना पहुंचे
प्यार पाने की आस
कम न होनी चाहिए |
स्वप्नों में आना चले जाना
कोई नई बात नहीं
पर उससे जन्मा उल्लास
आत्मसात होना ही चाहिए |
कभी मिलन की आस भी
बाकी होना चाहिए
हकीकत तो सभी जानते हैं
कभी स्वप्नों में भी खोना चाहिए |
गूंगे के लिए स्वाद गुड़ का
मन को तो छूता पर
पर व्यक्त नहीं कर पाता
स्वप्न अमूर्त भी कुछ ऐसा ही होता |