01 फ़रवरी, 2014

आया वसंत



पीले लाल रंगबिरंगे
पुष्प सजे वृक्षों पर
रंग वासंती छाया
धरती की  चूनर पर |
धरा सुन्दरी सजती सवरती
नित नवल श्रृंगार करती
राह प्रियतम की देखती
इस प्यारी  सी ऋतु में |
सारे  पर्ण  किलोल करते
मदमस्त मलय से चुहल कर
करते अटखेलियाँ पुष्पों से
वासंती रंग में रंग जाते |
चंचल चपल विहग
 आसमान में उड़ उड़ कर 
अपनी प्रसन्नता जाहिर करते
नव किश्लय करते स्वागत तब
इस अभिनव ऋतु का |
दृश्य वहीं ठहर जाता
मन की आँखों में छिप जाता
माँ सरस्वती का ध्यान कर
स्वागत वसंत का होता |
आशा

30 जनवरी, 2014

यह क्या ?


यह क्या कहा
कैसा सदमा लगा
मैं भूली ना |

लिखी किस्मत
 न विधाता ने मेरी
भूल किसकी |

सेतु बंधन 
एक सरिता पर 
दो कूल मिले |

लगता दाग 
दामन भविष्य का 
है दाग दार |

आसमान में
काले भूरे बादल
बरसे झूम |

अश्रु झरते
अधर हुए शुष्क
भीगी पलकें |

दुखित मन
हाल देखा देश का
कोई न हल |

जला अलाव
एहसास गर्मीं का
बचा सर्दी से |

आशा

27 जनवरी, 2014

26 जनवरी, 2014

भीगी चुनरी

1-भीगी चुनरी
यदि वर्षा न होती
खीज न होती |
2
तेरा प्यार भी
मन को नहीं छूता
इकरार भी |
3

खिलती कली
विरवाई में दिखी
दिल छू गयी |
हावी बुराई
दब गयी अच्छाई
कहीं खो गयी |


दोस्ती फूलों से 
जो सुकून दे जाती 
कहीं न पाती |
आशा