रोटी ताती चाहिए ,ठंडी नहीं सुहाय |
नखरे क्यूं करता भला ,बात समझ ना आय ||
बात समझ ना आय ,अरे तू कैसा मूरख |
खाले अब चुपचाप ,उतारी है क्यूं सूरत ||
सच्चाई को मान ,रोटी होती है रोटी
क्यूं पीछे है पडा ,चाहिए ताती रोटी ||
रोटी मीठी ही लगे ,चाहे जब लो खाय |
प्यार से पाया टुकड़ा ,मन को सदा सुहाय ||
प्रेम भाव मन में बसा ,झुटला सका न कोय |
दूरी दिखती जब इससे ,यही दिखावा होय ||
आशा
रोटी मीठी ही लगे ,चाहे जब लो खाय |
प्यार से पाया टुकड़ा ,मन को सदा सुहाय ||
प्रेम भाव मन में बसा ,झुटला सका न कोय |
दूरी दिखती जब इससे ,यही दिखावा होय ||
जब से बेटी के कदम पड़े , घर में आई बहार |
देखी जब उसकी अदाएं ,मन में रहा न खार ||
देखी जब उसकी अदाएं ,मन में रहा न खार ||
आशा
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