शरीर मैं नासूर सा
इस समाज में जन्मा
कैसा यह दरिंदा
जिसने सारे नियम तोड़
सारी कायनात को
शर्मसार कर दिया
उसकी सबसे हसीन कृति को
उसकी अस्मिता को निर्लज्ज हो
दानव की तरह तार तार कर दिया
एक पल को भी नहीं सोचा
वह भी किसी की कुछ लगती होगी
माँ,बहन पत्नी सी होगी
प्रेमिका यदि हुई किसी की
अस्मत फिर भी महफ़ूज़ होगी
किसी की अमानत होगी
बहशियाना हरकत से
वह क्या कर गया ?
सजा फांसी की भी
कम है उसके लिए
कम है उसके लिए
इससे भी कड़ी
सजा का हकदार है वह
सजा का हकदार है वह
इस घिनोनी हरकत का
इस दरिंदगी का हश्र
इस दरिंदगी का हश्र
कुछ तो असर होगा
जब अन्य युवा देखेंगे हश्र
उसकी दरिंदगी का |