मौसम का बदला मिजाज 
अचानक बादल आ गए 
थोड़ी सी ठंडक देने
को 
पर गलत हुआ सोच 
गर्मीं की तल्खी और
बढ़ गई 
धरती की नमीं खोने लगी  
बड़ी बड़ी दरारें पडीं
वहां 
दोपहर में यदि बाहर
निकले 
पैरों में छाले पड़
गए 
यही हाल रात में
होता 
नींद नहीं आती आधी
रात तक 
अब तो बदलाव मौसम का
बदलता है रूप पल पल
में 
हर बार  विचार करना
पड़ता है 
क्या करें क्या न
करें
देखो ना पानी बरसा नाम 
को 
फसल हुई प्रभावित
क्या करें ?
सोचना पड़ता है |
अनुसार उसी के चलना पड़ता
जो हो ईश्वर की मरजी |
आशा
अनुसार उसी के चलना पड़ता
जो हो ईश्वर की मरजी |
आशा


