बजी थाली आई खुशहाली
आया पालना घर में
सोहर गाईं छटी पुजवाई
नेगाचार कियेआँगन में |
एक परी सी आई बिटिया
इस छोटे से घर में
आँखों में अंजन
गालों पर डिम्पल
ठोड़ी पर लगा डिठोना
कर देता मन चंचल |
भाव घनेरे आनन पर
जागती सोती अँखियाँ
मुस्कान कभी अधरों पर |
खोजी उसने सुख की गलियाँ
उन पर कदम बढाए
बजती पैरों में पैजनियाँ |
जब भी झनकार सुनाई देती
अदभुद प्रसन्नता होती
मीठी तोतली वाणी उसकी
जीवन में रंग भरती |
ना जाने कब बड़ी हो गई
डोली में बैठ ससुराल चली
झूला खाली कर गई
घर सूना सूना लगत उसके बिना
आशा
झूला खाली कर गई
घर सूना सूना लगत उसके बिना
आशा