आप जब भी करीब आए
एहसास अनोखे जागे
पर एतवार नहीं होता
वे सत्य हैं या छद्म रूप
जान जाइए
कभी सत्य नजर आते
कभी विचारों में बिलमाते
है ममता प्यार या दिखावा
या ओढ़ा हुआ आवरण विशेष
पहचान जाइए
है ऐसा क्या उसमें
नजदीकी ही बताएगी
जब पूर्ण आकलन हो
आभास से ही उसको
जानने का जज्बा हो
तभी जान पाएंगे
उसे पहचान पाएंगे
है शबनम में भीगा गुलाब
आज में उसे जानते हैं
मन में ही सही
उसे जान जाइए
पहचान जाइए |
आशा
तरस गईं
तेरी एक झलक
पाने को
दरवाजा तक
खुल गया है
वीराने में
बहार आजाने को
अब देर क्या है
होगा तुझे ही पता
क्या रखा है
इसा तरह
उसको तरसाने में
एहसास प्यार का
ले आया उसे
तुझ तक
जब तुझसे
दूरी हुई
जिन्दगी सराबोर हुई
तेरी यादों में
सिमट कर
उनमें ही
डूबी रहती है
बाक़ी सब को
भूल गई
यह अन्याय नही
तो और क्या है
तुझसे दूरिया उसकी
सजा नहीं तो क्या है
प्यार में कटुता
कहाँ से आई है
हम ठहरे गैर
नहीं जानते
आखिर क्या
चल रहा है
दौनों में
हम से यदि
सांझा किया होता
शायद कुछ
सहज हो पाते
तनाव से होते दूर
अपना प्यार बाँट पाते |
आशा
हूँ मैं छाया तेरी
तुझ से
दूर न रहूँगी
जहां जहां तू चलेगा
साथ मुझे पाएगा
जब रात का
साया होगा
नींद की खुमारी होगी
तब भी
देखा जा सके या नहीं
पर तेरे आस पास
ही रहूंगी
तू चाहे या ना चाहे
साथ नहीं छोडूंगी
तू दीपक मैं बाती
तुझसे ही
बंधी रहूंगी |
आशा
आशा