स्वतंत्रता  हांसिल हुई  बड़ी कुर्वानियों से  
जिसे अक्षून्य रखना है कर्तव्य हमारा 
इससे मुंह मोड़ना कहलाता है  देश द्रोह  
इससे बचे रहना है सौभाग्य हमारा |
तीनों रंग तिरंगे के  बीच में चौबीस शलाखाएं 
है अद्भुद रंग राष्ट्र ध्वज का  
जब फहराया जाता लहराता व्योम में 
होता है गर्व का अनुभव  हमें |
सर फक्र  से झुकता है बार बार 
मन नमन करता है राष्ट्र ध्वज को 
उसकी गरिमा को शतशत नमन 
हर बार   कर्तव्य का एहसास दिलाता है | 
आशा
आशा




