क्या कहने तुम्हारे वजूद के 
कभी एहसास ही नहीं होता 
तुम्हारे अस्तित्व का 
कहाँ गुम हो जाती हो 
हलकी सी  झलक दिखला कर | 
समझ में नहीं आता तुम्हारा इरादा 
यह कोई चुपाछाई का खेल नहीं है 
हम अब बड़े होगए हैं
छोटे बच्चे नहीं है |
रहना है साथ बंधन से बंधे हैं 
है तो कच्चे धागों का 
पर मजबूती लिए है 
समाज है गवाह इस बंधन का |
ऐसा प्यारा बंधन तुम्हें
 क्यूँ रास नहीं आया 
मुझे  एहसास है बड़ा प्यारा 
जीवन में नियामत सा मिला है |
तुम नहीं तो कुछ भी नहीं है 
जीवन की रंगीनियों  की 
एक झलक भी दिल  खुश कर देती है
तुम्हारी भीनी भीनी महक 
मन खुशी से भर देती है |
आशा  
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