हो तुम खुशबू का खजाना
दिया जो उपहार में
इस प्रकृति नटी ने तुम्हें
सवारने सहेजने के लिए |
दी अपूर्व सुन्दरता हर एक पंखुड़ी में
श्वेत रंग दिया भरपूर
नारंगी रंग की डंडी ने
अद्भुद
निखार लाया है|
जब धरती पर
पुष्प झर झर झरे
मंद मंद हवा बहे
एक अनूठी सैज सजे
पारिजात वृक्ष के तले |
जागा अदभुद एहसास
उस पर कदम पड़ते ही
मन को सुकून आया है
देखी तुम्हारी बिछी श्वेत चादर
कितने जतन किये थे मैंने
तुम्हारे रूप को सजाने में |
हो तुम श्वेत सुन्दर अनुपम कृति
ईश्वर प्रदत्त उपहार में हमें
रोज चढ़ाए जाते
पुष्प प्रभु के चरणों में
महकता मंदिर का आँगन
अनुपम सुगंध से है जो है प्रिय
हमें और हमारे आराध्य को
आशा
आशा