07 फ़रवरी, 2024

जब ध्यान ना रखा

 

है एक दिन की बात है  

मैदान पर खेलने गए थे

समय का ध्यान ही नहीं रहा

शाम गहराई ,होने लगी रात |

हम छोटे थे रुआसे हुए

अब घर कैसे जाएंगे  

एक राहगीर उधर से जा रहा

रोने का करण जान कर

हाथ थामें उसने छोड़ा घर पर

अब समय का ध्यान रखने

 की कसम खाई

अपने को बहुत समझदार समझा

एक शिक्षा ली

 समय का ध्यान रखने की

आशा सक्सेना  

हाइकु


                                                                    १- किसी ने कहा

 तुम नहीं आओगे 

तरसाओगे 

२-उसने पीया

 रसरंग प्रेम का 

मुझे पिलाया 

३- मीठा है  रस

 बड़ा ही मशहूर 

तुम ही पियो 

४-याद नहीं है 

मैंने कभी पीया है 

आम का रस 

५-तुमने बोले 

दो शव्द प्रेम के

मन पसीजा 

आशा सक्सेना 

ऐसे कार्य करें कि सब याद करें

 

हम चले जाएंगे

लौट कर न आएगे

यादें शेष  रह जाएंगी

किसी के पास |

इधर उधर से

आते जाते सभी

याद करेंगे

उन बातों को |

तभी बड़ों का कहना है

कोई ऐसा काम न करो

किसी के मन को

ठेस पहुंचे |

यह मैंने अनुभव किया है

मेरे जाते ही

बहुत बाते बनती हैं

बेरे बारे में |

 तभी सोचती हूँ

ऐसे कार्य करूं कि

मुझे भी  याद किया जाए

जब मैं इस दुनिया से  जाऊं |

आशा सक्सेना 

06 फ़रवरी, 2024

हाइकु (कहना नहीं)

 

१-कहना नहीं 

कैसे ना  बहकाये

डर नहीं है

२-मीठी धुन में 

गीत बना उसका

कविता पढ़े 

३- उसे  चाहिए

मेरे  प्रेम की चाह

किसी के लिए

४-कोई ना जाने

मेरे मन की बात

यही है ख़ास

५-तेरी  मुझसे  

बात छुपी नहीं है

यही  विशेष 

                

    आशा सक्सेना