प्रातः से संध्या तक
क्या गलत क्या सही आचरण
उस पर चिंतन मनन और आकलन
सरल तो नहीं
यदि स्थिर मन हो कर सोचें
आत्मावलोकन करें
कुछ तो परिवर्तन होगा
स्वनियंत्रण भी होगा |
वही निश्चित कर
पाएगा
होती क्यूं रुझान
उन कार्यों के
प्रति
जो सर्व मान्य नहीं
उचित और अनुचित में
विभेद क्षमता जागृत तो होगी
पर समय लगेगा
है कठिन विचारों पर नियंत्रण
सही दिशा में जाने का आमंत्रण
पर असंभव भी नहीं
तभी है परम्परा त्रुटियाँ स्वीकारने की
उन सभी कार्यों के लिए
जो हैं उचित की परिधी के बाहर
क्यों न प्रयत्नरत हों अभी से
आदत बना लें समय निर्धारण करें
आत्म बल जागृत होते ही
त्रुटियों पर नियंत्रण होगा
जाने अनजाने यदि हुईं भी
प्रायश्चित की हकदार होंगी |
आशा