जब साथ चले हम कदम हुए
पर हम साया कभी न बन पाए
अधिक दूर न चल पाए
मन को खुशी ना मिल पाई |
यही रही अधूरी मन में बात
कोशिश की हम ख्याल होने की
उसमें भी सफल ना हो पाए
कभी सोच नही पाए उसी की तरह |
हर बार अलग सब से नजर आए
क्या कभी किसी के हमराज हो पाएंगे
अपने को किसी से बांधेंगे
उसके अनुरूप चल पाएँगे |
बार बार दिल को टीस सहने की
आदत हो जाएगी
पर इससे कैसे बचेंगे
हमारी सारी कोशिश व्यर्थ हो जाएगी |
आशा सक्सेना