07 जनवरी, 2015
06 जनवरी, 2015
रात दिन
कलह होती
जब भी दिन रात
जब भी दिन रात
कटुता आती |
सुबह शाम
है व्यस्तता अधिक
है व्यस्तता अधिक
नहीं विश्राम |
दिन ही होता
और निशा न होती
और निशा न होती
तो क्या होता ?
दिन में काम
व्यस्तता अधिक ही
व्यस्तता अधिक ही
रात्रि विश्राम |
दोपहर में
तीव्रता लिए धूप
तीव्रता लिए धूप
ढलती शाम
छिपा अस्ताचल में
छिपा अस्ताचल में
आदित्य ही है |
रात अन्धेती
उड़ते उडगन
उड़ते उडगन
सुन्दर समा
सन्नाटे में रात के
सन्नाटे में रात के
बंधता जाता|
जुगनू गाता
अहसास दिलाता
अहसास दिलाता
नहीं अकेले |
आशा
05 जनवरी, 2015
सदस्यता लें
संदेश (Atom)