03 अप्रैल, 2015

दायरे यादों के

 
हैं बृहद  दायरे यादों के 
यह कम ही जान पाते 
सब   चलते उसी पगडंडी पर
ठिठक जाते चलते चलते 
मार्ग में ही अटक जाते हैं
कदम बढ़ने नहीं देते
अधिकाँश लौट जाते हैं
कुछ ही बढ़ पाते हैं 
आगे जाने की चाहत में 
जाने कब चल देते हैं 
 व्यवधानों से बचते बचाते
उसी वीथिका पर
दृढ़ता और आस्था
 यादों के चौराहों को
चिन्हित कर देतीं
वे सही दिशा जान कर 
वहीं पहुँच जाते हैं 
कण कण में बिखरी यादें 
सहेजते अपने नेत्रों से 
सजोते अपने दिल में
और खो जाते 
अपनी यादों की दुनिया में
जब भी उदास होते 
ठहर भी जाते
कुछ पल के लिए
किसी चिन्हित चौराहे पर 
उस याद को
 ताजा करने के लिए
कहीं गहराई में 
उसे छिपा कर
सजा कर रखने के लिए 
हैं वे बड़भागी कामयाब
 सफल  अपने उद्देश्य में |
आशा





01 अप्रैल, 2015

झरना

 
जलप्रपात
कलरव करता
आती फुहार |

जल बहाव
ऊपर से नीचे को
मनोरम है |


सुरम्य धार
झरझर झरता
जल प्रपात |

जीवन आज
बहता झरना है
रुकता नहीं |

जल प्रपात
मधुर संगीत से
मन हरता |

जीवन जीना
झरने सा प्रवाह
उससे सीखा |


आशा


31 मार्च, 2015

सत्य


 

खोज सत्य की
झूटों ने ही की होगी
सच न बोले |

शक्ति सत्य की
जिसने पहचानी
है वही ग्यानी |


टिका जीवन
सत्य असत्य पर
जीतता  सत्य  |

सत्य वचन
महिमा अनुपम
जग जानता |

सत्य कथन
दिल बड़ा चाहिए
कह पाने को |

संवादहीन
असहज घातक
सामान्य नहीं |

सम्यक सोच
अभिव्यक्ति सरल
हो निर्विकार |
 

आशा