वह बैठा निहारता
पुष्पों  भरी क्यारियां  
टहनियां  झुक झुक जातीं
कुसुमों के भार से |
अनायास तेरा आना 
रंग बिरंगे फूल चुनना 
महावरी पैर बढ़ाना  
झुकना और सम्हलना |
आयल पायल बिछुए कंगना 
गुनगुनाना मुस्कुराना 
अद्भुद छवि तेरी 
मन में उतरती |
मंद  मंद चलती बयार 
आनन् का करती सिंगार 
चन्द्र मुखी रूपसी 
मन स्पन्दित करती |
मृणाल सी कोमल बाहें 
 हाथों से फूल चुनती 
 कुछ पुष्प  आँचल में आते 
कुछ धरा को चूमते |
खुशी उन्हें पाने की
उनमें ही रम जाने की
मदिर मुस्कान तेरी
अंतस में सिहरन भरती |
प्रसन्न वदन उन्हें निहारती
खुशी उन्हें पाने की
उनमें ही रम जाने की
मदिर मुस्कान तेरी
अंतस में सिहरन भरती |
प्रसन्न वदन उन्हें निहारती
भाव संतुष्टि का होता 
तब प्यारी सी  छवि तेरी
मन में घर करती |
आशा 



