हो तुम बेहद हसीन
तुम्हारी हर अदा कमसिन
मुस्कराहट ने चमक दुगनी
की है चहरे कि
काकुल से घिरी पेशानी
मानो लटें प्यार से मुख चूमती
रौनक ऎसी आई है
लगती है शाम के साए में लिपटी
खूबसूरत एक गजल सी |
हो तुम बहुत हसीन
तुम्हारी हर अदा कमसिन
मुस्कराहट ने चमक दुगनी
की है चहरे कि
काकुल से घिरी पेशानी
मानो लटें प्यार से मुख चूमती
रौनक ऎसी आई है
लगाती हो शाम के साए में लिपटी
खूबसूरत एक गजल सी |
आशा
हो तुम बहुत हसीन
तुम्हारी हर अदा कमसिन
मुस्कराहट ने चमक दुगनी
की है चहरे कि
काकुल से घिरी पेशानी
मानो लटें प्यार से मुख चूमती
रौनक ऎसी आई है
लगाती हो शाम के साए में लिपटी
खूबसूरत एक गजल सी |
आशा
आशा