प्यारे प्यारे कुछ पखेरू
चहकते फिरते वन में
पीले हरे से अलग दीखते
पेड़ों के झुरमुट में
एक विशेषता देखी उनमें
कभी न दीखते शहरों में |
वर्षा ऋतु आने के पहिले
नर पक्षी तिनके चुनता
एक नीड़ बनाने में
इतना व्यस्त होता
श्रम की अदभुद मिसाल दीखता |
उस नीड़ की संरचना
आकर्षित करती
हर जाने आने वाले को
पेड़ से लटका हुआ
फिर भी इतना सुदृढ़ कि
कोई नष्ट ना कर पाए
वायु के थपेड़े हों
या किसी का प्रहार |
एक दिन ले प्रियतमा
पखेरू आया वहां
सुखी संसार बसाया अपना
था प्रवेश मार्ग वहां
संगिनी बाट जोहती
झांकती उसमें से
अपने प्रिय के आने की |
था एक अद्भुद नगर सा
कुछ जोड़े रहते थे
कुछ मकान खाली भी थे
चूजों की आहट आतीं थीं
लगते थे धर आवाद |
पर सब पखेरू उड़ गए
कुछ अंतराल के बाद
अब वहां कोइ न था
बस थे घौंसले रिक्त
फिर भी था अटूट बंधन उनका
उन वृक्षों की डालियों से |