व्यस्तता भरे जीवन में 
वह ढूंड़ता सुकून 
खोजता बहाने 
हंसने और हंसाने के |
भौतिकता के  इस युग में 
समय यूं ही निकल जाता 
पर हाथ कुछ भी न आता 
एक दिन ठीक दिखाई देता 
दूसरे दिन चारपाई पकड़ता 
अधिकाँश सलाहकार बनाते 
मुफ्त में तरकीवें बताते 
स्वास्थ्य में सुधार के लिए
चाहे कोइ काढ़ा जिसे 
 भूले से भी न चखा हो 
ना ही अजमाया हो 
बहुत स्वास्थ्य वर्धक बताते
वह हर नुस्खा अजमाता 
बद से बदतर होता जाता 
जब कोइ कारण खोज न पाता
व्यस्तता पर झुंझलाता 
लगता जैसे सारी मुसीबतें 
बस वही झेल रहा हो 
भौतिकता में लिप्त 
दूर प्रकृति से होता जाता 
घबराता परेशान होता 
खोजता खुशी आस पास 
पर तब भी प्रकृति के पास जा
अपना दुःख न बाँट पाता |


