06 फ़रवरी, 2021

स्वागत बसंत का

 

स्वागत वसंत का

मौसम ने ली है अंगडाई

वादेसबा सन्देश लाई

सारी बगिया महकी

कलियों पर फैली तरुनाई

कोयल की मीठी स्वरलहरी

खीच ले चली बगिया की ओर

सारा उपवन महक रहा

मधुर मनभावन सुगंध से

भ्रमरों की टोली घूम रही

पुष्पों का रस लेने को

रंगबिरंगी तितलियाँ

 भी पीछे नहीं रहीं

पूरा चमन रंगमय हो रहा

विविध  रंग बिखरे हैं

उस छोटीसी बगिया में

पृथ्वी ने श्रृंगार किया है

वसंत के स्वागत में |  

आशा 

सागर सी गहराई तुम में

 


सागर सी गहराई तुम में 

हो इतने विशाल 

कोई ओर न छोर |

पर मन पर नियंत्रण नहीं 

जब भी समुन्दर में 

तूफान आता है 

हाहाकार मच जाता |

ऊंची ऊंची लहरें उठतीं 

 अनियंत्रित होतीं जातीं 

 सुनामी के नाम से 

  दिल दहल जाता है |

कितना विनाश होता   

नतीजा क्या निकलता 

मन दुखी हो जाता 

जानने की इच्छा नहीं  

आगे होगा क्या ?

 कैसा होगा अंजाम ?

कहा नहीं जा सकता |

वही हाल तुम्हारा है 

 होते हो  जब गंभीर 

विशाल शांत सागर जैसे  

बहुत प्यार आता है तुम पर 

पर रौद्र रूप धारण करतें ही 

बड़ा  परिवर्तन आ जाता है |

केवल कटुता ही रह जाती 

मन का प्यार 

कपूर की तरह 

कहीं उड़ जाता  है |

आशा

02 फ़रवरी, 2021

हार जीत में अंतर क्या है

 


 मझे तुमसे बहुत कुछ

सीखने को मिला है

यूँ तो सीखने की

 कोई सीमा नहीं है

पर संतुष्टि नहीं होती

जब तक परीपूर्णता न होती  |

यही पूर्णता आते आते

जीवन बहुत व्यय हो जाता है

है जीवन बहुत छोटा सा 

कब समाप्त हो जाए

 जान नहीं पाती|

सच क्या और झूठ क्या

अंतर नहीं कर पाती

बस यहीं आकर मात खा जाती

तुमने सही सलाह दी थी

   जिसे मैंने अपनी गिरह में बांधा है 

किसी कार्य के पूर्ण होने तक

पीछे कदम नहीं हटाना

 यही है  राम बाण मन्त्र मेरे लिए

जिसका अनुसरण किया है |

तुमसे यह पाकर 

कैसे उऋण हो पाऊंगी 

बस इतना और बतादो 

जीवन में कभी हार का मुंह न देखूं 

यही दुआ दो | 

आशा