बाल सुलभ चापल्य तेरा
ऐसा मन में समाता
बालक के निश्छल मन का
हर पल अहसास दिलाता
कान्हां तू कितना चंचल
एक जगह रुक न पाता
सारे धर में धूम मचाता
मन चाहा करवाता
मन चाहा करवाता
तू मां की आँख का तारा
हो गया सभी का दुलारा
मां की ममता का तू संबल
तन मन तुझ पर सबने वारा
किया पूतना वध
कष्टों से गोकुल को उबारा
जमुना तीरे कदम तले
जमुना तीरे कदम तले
धेनु चराई रास रचाया
केशर संग होली खेली
की गोपियों से ठिठोली
गलियों में धूम मचाई
राधा भी बच न पाई
पानी सर से ऊपर हुआ
शिकायतों का अम्बार लगा
की गोपियों से ठिठोली
गलियों में धूम मचाई
राधा भी बच न पाई
पानी सर से ऊपर हुआ
शिकायतों का अम्बार लगा
गुजरियों की शिकायत पर
मां को बातों में बहकाया
यशोदा मां बलाएं लेती
कान्हां को कुछ न कहतीं
यही सभी से कहती
कान्हां मेरा भोलाभाला
उसने कुछ न किया
उसने कुछ न किया
कैसे हो गुणगान तेरा
शब्द नहीं मिलते
मन में भाव घुमड़ते रहते
तुझ में खोए रहते |
शब्द