कभी भूल कर भी
 न जाना उस ओर 
जहां नहीं मिलता सम्मान 
यह भी जान लो |
सम्मान माँगा नहीं जाता 
स्वयं के गुण ही उसे पा लेते
वे जहां से गुजरते
 वह बिछ बिछ जाते |
मन को अपार प्रसन्नता होती 
जब बिना मांगे
चाहा गया मिल जाता 
समाज में सर उन्नत होता |
यही प्रतिष्ठा की अभिलाषा रहती 
आत्म सम्मान ही धरोहर होती 
या यूं कहें संचित धन राशि होती 
जिसके लिए रहना दूर पड़ता
गलत आचरण से |
आशा
आशा
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