एकांत पलों में
जाने कब मन वीणा की
हुई मधुर झंकार
कम्पित हुए तार
सितार के मन लहरी के
पर शब्द रहे मौन
जीवन गीत के !
जिसने जिया
उदरस्थ किया उन पलों को
जीने का मकसद मिल गया
सुन उस मधुर धुन को !
थिरकन हुई कदमों में
तारों के कम्पन से
हर कण में बसी
उत्साह की भावना
रच बस गयी मन में
जगा आत्म विश्वास
उस पल पर टिका कर
सफलता की सीढ़ी चढ़ी
अब वह जीता है
उन्हीं पलों की याद में
जो मुखर तो न हो सके
पर रच बस गए
उसके अंतस में !
आशा सक्सेना