किसी से क्या चाहिए
शिकायत किससे करू 
कोई नहीं सुनता मेरी
 हार थक कर आई हूँ 
\इधर उधर क्षमा मांगी
किसी ने  सहारा न  दिया मुझे 
 अब तक बेसहारा घूम रही हूँ 
किसी से सहारे के लिए |
मैंने की अपेक्षा सबसे  अधिक ही 
क्या यही थी भूल मेरी 
यदि सहारा न दिया दूसरों ने
फिर से क्यों लौटी उन तक |
अपनी आदत न थी कभी 
किसी से सहारा लेने की 
पर अब समझ लिया है 
 अपने आपको  सक्षम बना लेने की  |
अपनी आदतों में सुधार करना
चाहा 
कोशिश भी की है 
 मन का भय भी 
समाप्त न हो पाया आज तक |
मन को  संयत किया है 
फिर भी अभी तक
 अपने ऊपर विश्वास न हो पाया 
अपने कदम बढ़ाने में 
किसी का सहारा तो चाहिए |
आशा सक्सेना
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