कितनी बाते 
कहने करने को 
समय कम 
होने लगता जब
 बहुत कष्ट  
देता जाता मन को 
तुम्हारा दिल   
कंटकों से भरता  
पुष्प किसी का  
भाग्य बदल देता 
तुम्हीं अछूते 
रह जाते उनसे 
जानना चाहा 
 सजा किस कारण 
मैंने किया क्या   
मालूम नहीं हुआ 
 रहा अशांत
  कभी खोजने
की भी 
चाहत  होती   
कितना लाभ होता 
जान कर भी 
नहीं है  कुछ लाभ 
मन अशांत 
होता ही रह जाता 
आशा 
 
 
 
            
        
          
        
          
        
                                                                      दीवाना  हुआ
तेरी छवि देखते 
खोया  ख्यालों में 
बनाली है तस्वीर 
मस्तिष्क में भी 
 क्यों हुआ हूँ अधीर 
  दोगे दर्शन
 
 हम सब को साथ  
तुम्हारे हाथ 
होंगे   मेरे ऊपर  
ख्यालों में डूब
जाता 
तन बदन 
ठहर जाता मन   
एक  स्थल पे  
जाना नहीं  चाहता
जन्म ले कर 
फिर से  धरा  पर 
जन्म मृत्यु के 
चक्र व्यूह में फंसा 
मुक्ति मार्ग का    
 मैं   रहा  अनुरागी 
 दीवाना फिर भी हूँ 
पाया  है  जिसे
 
बहुत जतन से
 फिर से खोना 
नहीं मंजूर मुझे |
आशा 
 
 
 
 
 
 
 
पहने पीताम्बर 
श्यामल गात 
अधरों पर मधुर 
मुस्कान लिए 
घूमते  गली गली 
माखन खाते 
खुद खाते खिलाते  
 ग्वालवाल को  
लिए साथ जब भी 
एक गजब 
कहानी बन जाती 
गिला शिकवा 
शिकायत तो  होते  
पर क्षमा की 
गुहार भी  लगाते 
 सीधे साधे हो 
जाते 
कोई कहता 
माखन चोर कान्हां 
नन्द किशोर 
यशोदा के  दुलारे 
 मोहन प्यारे 
बाँसुरी बजा रिझाते 
गोप गोपियां
रंग रसिया होते     
राधा बिना अधूरे 
 मोहन होते 
आशा 
 
 
 
 
 
            
        
          
        
          
        
                                              चाह तुम्हारी 
हुई पूर्ण फिर भी 
क्यूँ खुशी नहीं 
मुख मंडल पर 
मुझे बताओ 
मन में  विचार क्या 
पलने लगा 
होता यदि  मालूम  
शायद जानू 
मैं तुम्हें पहचानू 
मदद करो 
किसी काबिल बनू 
जीतूँ   विश्वास 
गोरे   सुर्ख  गालों की 
मुस्कान  पर 
लगी मेरी  मोहर
किसी और से 
मैं कैसे उसे बाटूं
आशा
 
 
 
 
            
        
          
        
          
        
 
 रमता जोगी
 खोज रहा एकांत 
ठहरे जहां 
चंद पलों के लिए 
भूले भूकंप
भयावह सुनामी 
सोचता रहा
 कब हो छुटकारा 
उलझनों से 
दुनिया की यातना 
सह न पाता
कैसे बचे इससे 
बैरागी मन 
 ठहर नहीं  सके
भटका  जाए 
एक ही स्थान पर 
 हो कर 
मुक्त 
यहाँ  के प्रपंचों  से 
है राह भूला 
फिर नहीं भटके
 सही दिशा हो 
बंद आंखो से खोजे  
वही   मार्ग
हो 
आशा 
 
 
 
 
            
        
          
        
          
        
कितना पानी
हटा पाया अब तक 
मन ने सोचा 
तेरा उत्साह देख 
आज की नारी 
 कमजोर थी  कभी 
अब नहीं है 
छलके अश्रु मेरे
दौनों  नैनों  से
 है  सक्षम सफल 
नहीं ज़रूरी 
 बैसाखी वाकर की  
नहीं चाहिए 
 उंगली की पकड़ 
अपनी शक्ति 
पहचान गई है 
आज की नारी 
समय का साथ पा 
 परख रही 
है कितने पानी में 
 
 
 
                                                                          1-बंसी
बजैया
श्याम सुन्दर कान्हां 
मन को भाया 
2-तेरी
ये माया
तूने क्यूँ भरमाया 
न जान पाया 
3-कैसी
ममता
कितना भरा प्यार 
क्या है स्नेह 
4-खुशी
भी तेरी
दुखी भी तुम नहीं 
फिर है क्या 
५-राधा है शक्ति 
मदन मोहन  की 
मीरा है भक्ति
६-माँ यशोदा 
वासुदेव पिता हैं 
घनश्याम  के 
७- श्याम सलोने 
 मोहन राधा जी  के 
        श्याम दुलारे        
 आशा