पहले भी रहे
असंतुष्ट 
आज भी वही हो 
पहले थे अभाव
ग्रस्त 
पर आज सभी सुविधाएं 
 कदम
चूमती तुम्हारे 
फिर प्रसन्नता से
परहेज क्यूं ?
कारण जानना चाहा
भी
 पर कोइ सुराग न मिल पाया 
परन्तु मैंने ठान
लिया 
कारण खोजने के लिए 
तुम्हें टटोलने के लिए |
जानते हो तुम भी
तुम्हें टटोलने के लिए |
जानते हो तुम भी
सभी इच्छाएं पूर्ण
नहीं होतीं 
समझोते भी करने होते
हैं 
परिस्थितियों से , 
 यह भी तभी होता
संभव 
जब स्वभाव लचीला
हो
समय के साथ परिपक्व
हो
कुंठा ग्रस्त न हो |
कुंठा ग्रस्त न हो |
चाहे जब खुश हो जाना
अनायास गुस्सा आना 
 उदासी का आवरण
ओढ़े 
अपने आप में सिमिट
जाना |
कुछ तो कारण होगा 
जो बार बार सालता
होगा 
वही अशांति का कारण
होगा 
जो चाहा कर न पाए
कारण चाहे जो भी हो |
क्या सब को
 सब कुछ मिल पाता है ?
जो मिल गया उसे ही 
अपनी उपलब्धि मान 
भाग्य को
सराहते यदि
 आत्मसंतुष्टि का धन पाते |
सभी पूर्वनिर्धारित  है 
भाग्य से ज्यादा कुछ
न मिलता 
जान कर भी हो अनजान
क्यूँ ?
हंसी खुशी जीने की
कला 
बहुत महत्त्व रखती
है 
 कुछ अंश भी यदि
अपनाया 
जर्रे जर्रे में
दिखेगी 
खुशियों की छाया 
फिर उदासी तुम्हें
छू न पाएगी 
सफलता सर्वत्र 
होगी |
आशा 



