निराला संसार कल्पना
का 
असीमित भण्डार उसका 
पर घिरा बादलों से 
कुछ स्पष्ट नहीं
होता |
जो दिखाई दे  वह होता नहीं 
जो होता वह दीखता
नहीं 
बादलों की ओट से 
हल्की सी झलक दिखा
जाता 
सदा अपूर्ण ही रहता
|
नित्य नया संसार
बनता 
कभी सिमटता कभी
बिखरता 
उस पर रह न पाता
अंकुश 
बंधन में पहले भी न था
बंधन में पहले भी न था
आज भी है   दूर उससे 
कल क्या हो पता नहीं
|
फिर भी यही सोच रहता
अंत होगा क्या इसका 
है आस तभी तक 
जब तक उल्टी गिनती
शुरू न हुई 
बाद में क्या हश्र
हो
लौट कर किसीने बताया
नहीं 
पर है एक विशिष्ट
पहलू 
रंगीनी इसकी  दे जाती सुकून 
कालिमा जब दिखती 
छीन ले जाती खुशी |
इसकी अपनी दुनिया
में
 जब छा जाती गहन उदासी 
कह जाती कुछ और
कहानी |
आशा 



