![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkpSl_H206zS5kkdJXFSMGOJM7k2mR8PcsF3fYLxxi1I6SmPbXra9meNasxOhij6r4NYd-HR_tGiDDzngSzDTihWRRXc3YTgUvOKZoI4ni9w05cav8Uy6-vfiXo4r8HQwMFeEUKzX83Wk/w400-h383-no/1.jpg)
है बेवाक विचारों की परिचायक
बिकाऊ नहीं
ना ही लालायित
यशोगान के लिए |
है विशिष्ट सब से जुदा
भावाभीव्यक्ति के लिए |
किसी का प्रभाव न होता इस पर
ना बिकती धन के लिए
कोई प्रलोभन झुका न पाता
उन्मुक्त भाव लेखन में होता |
पारदर्शिता की पक्षधर
यही है लेखनी धार जिसकी पैनी
जो धार पर चढ़ जाता
उसका बुरा हाल होता |
जो सत्य से दूर भागता
इससे बच न पाता
इतना आहत होता
सलीब पर खुद चढ़ जाता |
यही बातें इसकी
मुझे इसका कायल बनातीं
मेरी लेखनी की धार
अधिक तेज होती जाती |
आशा
आशा