हरे पीले रंग सजाए थाली में
 श्याम न आए आज अभी तक 
 रहा इन्तजार उनका दिन और रात 
निगाहें टिकी रहीं दरवाजे पर |
हुई उदास छोड़ी आस उनके आने की 
पर आशा  रही शेष  मन के किसी कौने में 
 शाम तक उनके आने की 
अपना वादा निभाने की |
टेसू के फूल मंगा  रंग बनाया 
गुलाल अवीर भी नहीं भूली 
कान्हा का झूला  खूब सजाया 
फूलों की होली की की तैयारी |
 कहीं कोई कमी न रह जाए 
गुजिया पपड़ी और मिठाई 
दही बड़े से काम चलाया 
नमकीन बाजार से मंगाया |
 उनके न आने से उदासी बढ़ने लगी   
सभी तैयारी फीकी लगने लगी
याद हमारी  शायद उन्हें खीच
लाएगी 
 मन के किसी कौने से आवाज
उठने लगी |
हलके से हुई आहट पट खुलने की 
जल्दी से खोला दरवाजा 
पा कर  समक्ष उन को 
प्रसन्नता का रहा न ठिकाना |
बड़े उत्साह से जुटी शेष काम में 
होली का रंग हुआ दो गुना 
बिना उनके घर घर नहीं लगता था 
अब त्यौहार त्योहार सा लगने लगा  | 
आशा 


