प्यार का इज़हार 
या उपकार |
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उपकार का
यदि सिलसीला हो
कृपण न हो
(२)
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उपकार का
यदि सिलसीला हो
कृपण न हो
(२)
पहली बारिश सी 
सूखा न रहा |
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रहा अधूरा  
जीवन तेरे बिन 
सूना ही रहा 
(३)
बेरंग तेरे बिना 
कुछ भाए ना |
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भाए ना यह 
रंग भरी ठिठोली 
तुम आजाना |
(4)
बिखरी यादें
समेटने की चाह
है गलत क्या|
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क्या बिगड़ता
यदि समझी होती
मन की बात |
(५)
कठिन राह
पहुँच न पाऊंगा
हो चाँद तुम |
(५)
बहती जाती
नौका मझधार में
हो पार कैसे |
(4)
बिखरी यादें
समेटने की चाह
है गलत क्या|
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क्या बिगड़ता
यदि समझी होती
मन की बात |
(५)
कठिन राह
पहुँच न पाऊंगा
हो चाँद तुम |
(५)
बहती जाती
नौका मझधार में
हो पार कैसे |
बहता जल 
है तरंगित मन
हरीतिमा सा |
आशा
है तरंगित मन
हरीतिमा सा |
आशा








