सपनों की चंचलता बहुत कुछ
सागर की उर्मियों सी
भुला न पाई उन्हें
कोशिश भी तो नहीं की |
बार बार उनका आना
हर बार कोई संदेशा लाना
मुझे बहा ले जाता
किसी अनजान दुनिया में |
उसी दुनिया में जीने
की ललक
बढ़ने लगती ले जाती वहीँ
अचानक एक ठहराव आया
मन के गहरे सागर
में |
फिर चली सर्द हवा
उर्मियों ने सर उठाया
आगे बढ़ीं टकराईं
पर हो हताश लौट आईं |
यह ठहराव बदल गया
समूंचे जीवन की राह
अब न कोई स्वप्न रहे
ना ही कभी याद आए |
भौतिक जीवन की
जिजीविषा की
बेरंग होते जीवन की
यादें भर शेष रह गईं |
आशा