07 जनवरी, 2017
06 जनवरी, 2017
यादों का पहरा
आये थे अकेले
जाएंगे अकेले
पर तुमसे भी
बहुत कुछ
कहना रहेगा
जितना समय भी
साथ बिताया
उसका हिसाब
बाक़ी रहेगा
यूँ तो सभी को
जाना है
बिछुड़ना है
विसराना है
पर मेरे साथ
हुआ है
अनुबंध तुम्हारा
तभी ख्याल आया
मेरे साथ
तुम्हारी यादों का
जखीरा रहेगा
जो अनुबंद्ध
किया है तुमसे
वही खरी कसोटी होगा
उसमें कोई
खोट न होगा
तुम्हारी यादों का
मेरे मन पर
पहरा रहेगा |
आशा
04 जनवरी, 2017
02 जनवरी, 2017
गत्यावरोध
अचानक विराम आया है
इतने विस्तृतआसमान में
कैसा व्यवधान आया है |
बहती नदिया के जल में
ठहराव सा आगया है
संध्या कीस्याही उतरआई है
निशा का अन्धेरा छाने लगा है |
छलकने लगा है घट का जल
रिसने लगा है उससे जल
कहीं कोई हादसा हुआ है
शायद उसी का सन्देश लाया है |
दीपक रीता हो चला है
पर रात अभी बहुत बाक़ी है
पर रात अभी बहुत बाक़ी है
महक हरश्रंगार की बता रही है
श्वेत चादर बिछाना बाक़ी है |
तम यदि ना छट पाया
उड़ान अधूरी रह जाएगी
बहती नदिया मार्ग बदलेगी
अस्थिरता बढ़ती जाएगी |
स्थिर मन होने के लिए
कई पडाव पार करने हैं
यदि यही पड़ाव अंतिम हो
कई कार्य अधूरे पड़े हैं |
इस पार से उस पार तक
इस पार से उस पार तक
मार्ग दुरूह होगा पता है
अचानक आए विराम का
अर्थ समझ आने लगा है |
पर कार्य के विस्तार को
कहीं तो रोकना होगा
आनेवाले कल में स्वयं ही
अवरोधों से बचना होगा |
यही बातें यदाकदा मुझे
परेशान करती रहती हैं
मझधार में नैया
उसमें में अकेली मैं |
जैसेभी हो पार तो जाना है
यहाँ भी जगह नहीं है
नाही कोई ठिकाना है
उसमें में अकेली मैं |
जैसेभी हो पार तो जाना है
यहाँ भी जगह नहीं है
नाही कोई ठिकाना है
आशा |
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