04 मार्च, 2023

कवि ने गाएगीत




 कवि ने गाए गीत प्रेम के

जब तक जीवन में शांति रही

पर हुआ विचलित मन उसका

 जब महांमारी ने पैर पसारे |

जब मुसीबत आई देश पर

आगे की पंक्ती में खडा रहा

 अपनी रचनाओं से देश के वीर

सपूतों का साहस बढाया |

एक ऐसा कार्य किया जिसने

 मनोवल  बढाया इतना कि वे जुट गए

पूरी लगन से देश की रक्षा के लिए

यह रहा महत्व इतना

 देशवासियों ने  दिलसे सराहा

जो भी लिखा देश हित के लिए

उनको सराहा गया पूरे मन से |

यही विशेषता रही वीररस की रचनाओं में

जब शांति का माहोल बना

बड़ा परिवर्तन दिखने लगा रचनाओं से

कवि की मनोस्थिती की झलक दिखी  

 खुशहाली देश की नजर आई |

 

आशा

03 मार्च, 2023

भगवत भजन








सीता राम कहते  

कष्टों  से दूर रहते 
मन होता एकाग्र आसानी से 

राम    श्याम  को   याद कर 

जीवन कटता आसानी से 

जो शिक्षा मिली उनसे 

जीवन सरलता से आगे बढ़ा

उन अनुभवों को अपने जीवन में उतारा 

ज्ञान की नदिया में बहते गए 

जीवन सार्थक हुआ उनका |

जिसने कभी भजन ना किये होगे 

मन पर बोझ  रहा होगा 

बड़ों की सीख ना मान कर 

अनुभवों को ना स्वीकार कर |

 दूरी हो जाएगी अधिक भगवान् से 

मन बहुत दुखी होगा 

दूरी मिट नहीं सकेगी 

जब भजन होगा जीवन शांति से चलेगा |

आशा सक्सेना 

02 मार्च, 2023

तुम यहाँ कैसे



जब दूर गया तुमसे याद तुम्हारी आई 

ना निंद्रा  आई ना चैन मिला 

आतुर हुआ  घर आने को  
कहीं छुट्टे निरस्त ना हो जाए  |
बहुत दिनों बाद अवसर आया था घर आने का 

  शांति सीमा पर थी 

मेरे घर का द्वार खुला था 
सबको इंतज़ार था 
निगाहें टिकी थी  खाली सड़क पर 
अचानक किसी ने झांका खिड़कीसे 

हाथ हिलाते देखा तुम्हें 

मन बल्लियों उछला 

सब से मिला पहले |

फिर कक्ष में आया 

आश्चर्य हुआ मेरे  मुंह से निकला 

 तुम यहाँ कैसे कैसी परीक्षा हुई

परिणाम कब तक आएगा |

आशा सक्सेना 

01 मार्च, 2023

हाइकू(होली )


                                        १-फागुन आया
 

रंग गुलाल लाया 

खेलेंगे  रंग 

२-भक्त खेलते 

फूलों के रंग बना 

कान्हां के संग

३-मिलजुल के 

रंग लगाते लोग 

होली  है आई 

४-गीत फाग के 

गाते हैं चंग  बजा 

थिरकते हैं

५- गुजिया खाना 

बहुत अच्छा लगा  

साकों के साथ

६-डाला  गुलाल

मिलकेआपस में

                                                                  भूल के बैर 

आशा सक्सेना 

28 फ़रवरी, 2023

ग्लोबल वार्मिंग



सूखा सावन रहा 

सर्दी भी नहीं भर पूर 

 अभी से  गर्मीं का  

एहसास हो रहा |

क्या यह नमूना नहीं 

ग्लोवल वार्मिग का     

असमय मौसम में

परिवर्तन हुआ जाता |

अभ्यास नहीं इस का 

पर जीवन यहीं बिताना है 

इस बदलाव के संग जीना है 

उसे  ही खोजने में 

वैज्ञानिक जुटे हुए हैं |

 मनुष्य ही जुम्मेंदार है 

इस परिवर्तन के लिए 

इससे कैसे बचा जाए 

अब खोज रहा है |

आशा सक्सेना 



27 फ़रवरी, 2023

मेरी दुविधा


             आज बड़ी उलझन में हूँ

मैंने तो  सोचा था

सारे कार्य पूर्ण कर लिए हैं

जिम्मेदारी मेरी संपन्न हुई है   |

शायद यह मेरी भूल रही

एक पुस्तक में पढ़ा था

जब बच्चे बड़े हो जाएं

उन पर जुम्मेंदारी सोंपी जाएं |

वे यदि सक्षम और समर्थ हों

उन की मदद ली जाए 

कहाँ मैं गलत थी

अपनों और गैरों में भेद नहीं कर पाए |

कोई आए ठहरे सब को अच्छे लगते हैं 

मेंहमान की तरह स्वागत होता है  

पर जाने कब विदा होंगे मन को लगता है |

आज कोई प्यार नहीं किसी को 

अपनों को गैर समझा जाता 

यदि कोई समस्या हो बताया नहीं जाता 

हम भी कुछ लगते हैं सोचा नहीं जाता |

मन उलझनों की गुत्थि लिए घूम रहा दुविधा में 

मैं सोच में पड़ी हूँ क्या करू

दुविधा की चादर लिए

खुशी से हुई मीलों दूर |

आशा सक्सेना 

26 फ़रवरी, 2023

चाँद सा सुन्दर चेहरा तुम्हारा






चाँद सा चमकता चेहरा तुम्हारा 

सीधा सरल स्वभाव प्यारा सा
अब तक कहाँ रहीं  

कभी सामने ना आईं |
उसकी की चमक ही नहीं अकेली

काले दाग भी हैं चन्दा पर

ऐसा ही तुम्हारे कपोल  पर

 कहीं नजर न लग जाए |

काले कजरारे केशों की लट

 आई जब  मुखमंडल पर

छाई बादलों की घटाएं

प्यारे से मुखड़े पर

चहरे का नूर दमकता है|

तुम जैसा कोई नहीं है 

सादगी में सुन्दरता है 

मुझे तुमसे अच्छा

कोई नजर ना  आता|

कोई कमी निकालू कैसे

सपनों की दुनिया में 

तुम और मैं और कोई नहीं |

 मन में खुशी हो जाती दोगुनी 

जब सपना टूटता 

मैं उदास होता जाता हूँ 

तुम न जाने कहाँ खो  जाती हो |

आशा सक्सेना