चाँद सा चमकता चेहरा तुम्हारा
सीधा सरल स्वभाव प्यारा सा
अब तक कहाँ रहीं
कभी सामने ना आईं |
उसकी की चमक ही नहीं अकेली
काले दाग भी हैं चन्दा पर
ऐसा ही तुम्हारे कपोल पर
कहीं नजर न लग जाए |
काले कजरारे केशों की लट
आई जब
मुखमंडल पर
छाई बादलों की घटाएं
प्यारे से मुखड़े पर
चहरे का नूर दमकता है|
तुम जैसा कोई नहीं है
सादगी में सुन्दरता है
मुझे तुमसे अच्छा
कोई नजर ना आता|
कोई कमी निकालू कैसे
सपनों की दुनिया में
तुम और मैं और कोई नहीं |
मन में खुशी हो जाती दोगुनी
जब सपना टूटता
मैं उदास होता जाता हूँ
तुम न जाने कहाँ खो जाती हो |
आशा सक्सेना
सार्थक रचना ! बहुत बढ़िया शब्द चित्र !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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