कैसे तुझे बताऊँ माँ
हूँ मैं कितना खुश किस्मत
जब तक जिया
कर्तव्य से पीछे न हटा
सर्दी से कम्पित न हुआ
गर्मी से मुंह ना मोड़ा
अंत तक हार नहीं मानी
की सरहद की निगरानी
भयाक्रांत कभी न हुआ
अब तेरे आंचल की छाँव में
चिर निद्रा में सो गया हूँ
है मेरी अंतिम इच्छा
शहादत व्यर्थ न हो मेरी
पहले की तरह ही
केवल कड़ा विरोध पत्र ही
ना उन्हें सोंपा जाए
कड़े कदम उठाए जाएँ
अधिक सजग हो
निगरानी सरहद की हो|
आशा