यूं तो है
अंगूठाटेक
पर सजग सचेत
दुनिया किधर जा
रही है
हर नब्ज परखता है
हर कदम
पहचानता है
जानता है
महत्व वोट का
है वह भाग्य
विधाता
नेता जी के
भविष्य का
उत्सुक भी है कब
मशीन में बंद
भाग्य
नेता का होगा
जो भी नेता आता
है
खुद को मददगार
बताता
झुक झुक कर
प्रणाम करता
फिर खोलता पिटारा
वादों का
पर आज का मतदाता
भ्रम नहीं पालता
तत्काल मांगे
पूरी हों
यह लिखित में
चाहता
आज जो भी मिल रहा
है
पूरा उपभोग उसका
करता
कल की क्यूं
फिक्र करे
वह बदला लेना जान
गया है
होगा कल क्या
पहचान गया है |
आशा